जो कश्मीर में ‘ख्वाबों का फार्महाउस’ नहीं खरीद सके? सऊदी में ट्राई कीजिए

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

जो लोग अब तक भारत के कश्मीर में ‘ख्वाबों का फार्महाउस’ नहीं खरीद सके, उनके लिए खुशखबरी है! अब सऊदी अरब कह रहा है — “आ जाइए जनाब, यहां भी रेज़िडेंशियल, कमर्शियल और निवेश की ज़मीन आपकी बाट जोह रही है।”

25 जुलाई को ‘उम्म अल-क़ुरा गज़ट’ में प्रकाशित नया क़ानून सऊदी अरब की जमीनी नीति में एक ऐतिहासिक मोड़ लाया है। पहली बार विदेशी नागरिक, कंपनियां, गैर-लाभकारी संगठन, और राजनयिक मिशन तक को सऊदी अरब में प्रॉपर्टी खरीदने की अनुमति दी गई है।

क्या कहता है नया कानून?

अब विदेशी:

  • प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं

  • लीज पर ले सकते हैं

  • उसे उपयोग में ले सकते हैं

  • मालिकाना हक भी पा सकते हैं

पर ध्यान दीजिए, हर किसी को ‘घर-घर की कहानियां’ सुनने का मौका नहीं मिलेगा। क्योंकि सरकार ने साफ कर दिया है कि ज़मीन खरीदने के नियम “स्थान, प्रकार और उपयोग” पर निर्भर करेंगे।

मतलब — “सिर्फ पैसा नहीं, पासपोर्ट की शक्ल भी देखी जाएगी!”

मक्का-मदीना: सपनों की नहीं, शर्तों की ज़मीन

मक्का और मदीना को लेकर नियम अब भी ‘लाल लाइन’ हैं।
यहां:

  • केवल मुस्लिम व्यक्तियों को, वह भी कड़ी शर्तों के तहत संपत्ति खरीदने की अनुमति मिलेगी

  • GCC देशों के मुस्लिम नागरिकों को भी अब सीमित रियायत मिल रही है

  • और गैर-मुस्लिम? “भीतर जाने की भी मनाही है, खरीदने की बात छोड़िए!”

“एक तरफ़ बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ती उदारता, और दूसरी तरफ मक्का-मदीना में No Entry Without Belief का बोर्ड टंगा है!”

कौन खरीद सकता है और कितनी?

यह तय करेगी सऊदी की ट्राइ-फोर्स:

  1. मंत्रिपरिषद (Council of Ministers)

  2. रियल एस्टेट जनरल अथॉरिटी

  3. इकॉनॉमिक एंड डेवलपमेंट अफेयर्स काउंसिल

ये ‘प्रॉपर्टी पुलिस’ तय करेगी:

  • किन क्षेत्रों में प्रॉपर्टी बेची जा सकती है

  • कितनी मात्रा में ज़मीन खरीदी जा सकती है

  • लीज की समयसीमा और उपयोग शर्तें क्या होंगी

“भले ही खरीददार विदेशी हो, नियम वही तय करेगा जिसकी रेगिस्तान में सरकार है!

रजिस्ट्रेशन, टैक्स और जुर्माना: बिना रसीद के सपना सपना ही रहेगा

खरीदारी से पहले आपको:

  • सऊदी रियल एस्टेट रजिस्ट्रार में पंजीकरण करवाना होगा

  • 5% तक ट्रांसफर फीस देनी होगी

  • सारी जानकारी ट्रांसपेरेंट और वेरिफायबल होनी चाहिए

गलती से भी ‘जमीन तो खरीदी लेकिन बताई नहीं’ वाली चालाकी कर दी, तो…

जुर्माना:

  • 1 करोड़ सऊदी रियाल तक जुर्माना

  • संपत्ति सरकार जब्त कर सकती है

  • फिर वो प्रॉपर्टी आपके नहीं, सरकारी खाते की हो जाएगी

“यहां EMI की चिंता छोड़िए, गलती से लोकेशन गलत बताई तो 22 करोड़ की पेनाल्टी लगेगी — और उसमें लोन नहीं मिलता!”

उल्लंघन किया तो क्या होगा?

सरकार ने कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रवर्तन समिति (Special Enforcement Committee) गठित की है।

  • यह जांच करेगी कि आप कितनी शुद्ध नीयत से प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं

  • यदि धोखाधड़ी पकड़ी गई तो कार्रवाई पक्की

  • फैसले के खिलाफ 60 दिनों के भीतर अदालत में अपील की जा सकती है

“यहां जमीन पर कदम रखने से पहले कानून की रेखा पार मत करना वरना… कोर्ट तक का टिकट अपने खर्चे पर!”

आम सवालों के जवाब

Q: क्या मैं रियाद में आलीशान बंगला खरीद सकता हूं?
A: अगर सरकार ने उस इलाके को ‘खुली सूची’ में डाला है और आपके डॉक्युमेंट्स सही हैं — तो हां।
वरना ‘स्वर्ग की बालकनी’ दिखा कर दरवाज़ा बंद कर दिया जाएगा।

Q: अगर मैं नियमों का उल्लंघन कर बैठा?
A: जुर्माना मिलेगा इतना कि भारत में उसी रकम से दो BHK, चार Activa और एक ससुराल खरीदी जा सके।

Q: क्या गैर-मुस्लिम मक्का-मदीना में घर ले सकते हैं?
A: जी नहीं! ये सपना जितना मीठा है, नियम उतने ही खट्टे हैं।

अरब का बाज़ार अब वैश्विक, लेकिन फाइलें अभी भी ‘लाल टेप’ में लिपटी

नया क़ानून एक साहसी, स्वागतयोग्य कदम है। इससे सऊदी अरब को विदेशी निवेश मिलेगा, स्थानीय रियल एस्टेट को गति मिलेगी और विदेशियों को एक नया ठिकाना।

लेकिन जैसे हर अच्छी डील के पीछे “Terms & Conditions Apply” लिखा होता है, वैसे ही इस क़ानून के पीछे भी सऊदी की शर्तों का झंडा लहराता है।

“अब बस यही देखना बाकी है कि सपनों की जमीन लेने वाले, सपनों में ही न रह जाएं!

कविता का ‘सत्याग्रह’ — 72 घंटे भूखी रहेंगी बीजेपी-कांग्रेस के जवाब तक!

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